अगर जो हम शराब होते
अगर जो हम शराब होते, मधुशाला की चौखट पे सजते गज़लों के शेरों में बसते शाम से लेके सहर तक होते यारी […]
15 अगस्त लौट आया है
मौसम में, एक अलग सा खुमार है हर गली में बजता, मनोज कुमार है सफेद कुर्तों पर, तिरंगा नजर आया है लगता […]
मेरा शहर
यादों की एक पगडंडी मेरे शहर से होके जाती है हर मील के उजड़े पत्थर पर कुछ लम्हों से मिलवाती है एक […]
राम चरित है
राम को भगवान कह दूँ कैसे खुद से दूर कर दूँ विष्णु का अवतार कह दूँ कैसे बस चमत्कार कह दूँ राम […]
मैत्री
चार दीवारों के भीतर ना मन मंदिर में वास हो जिसका घर से बाहर जब मैं निकलूं परछाई सा साथ रहे वो […]
बेटियाँ
बेटियाँ, बेटियाँ, बेटियाँ ये बेटियाँ पिता का जन्म दूसरा परिवार का ये आसरा कर्मों का वरदान ये पुण्यों की ये प्राप्तियाँ ।। […]
बारिश और उम्र
हर उम्र की बारिश अपनी है कभी तो चाहत कभी मुसीबत कभी दिलाती याद किसी की हर बारिश की ख्वाहिश अपनी है।। […]