माना तुम सुंदर हो
इन्दर की परियों में, पहला तुम नंबर हो
हर दिल में उठता, तुम एक बवंडर हो
ख्वाबों में सजता जो, वो प्यार का मंज़र हो
माना तुम सुंदर हो
सेहरा में मिलता वो, पानी का दरिया हो
पानी झुलसा दे जो, तुम वो शरारा हो
सरगम की तानों में, तुम शब्द करारा हो
महफ़िल में तारों की, शामिल ध्रुव तारा हो
माना तुम सुन्दर हो
भ्रमर रिछा दे जो, वो गुल तुम प्यारा हो
धरा भिगो दे वो, बादल तुम न्यारा हो
हर शाम पीने का, तुम एक बहाना हो
ग़ज़लों के शेरों का, तुम दिली फ़साना हो
माना तुम सुंदर हो
पर सुन लो मेरी जान,
ना झुकेगा वो हूं में, एक बेफ़िक्रI पैग़ाम
यूं बोलो तो ले लूं , गब्बर की भी जान
पर आते-जाते सजदा करना, ना अपनी पहचान
रूप यौवन का, जग में है मेहमान
जो पाना चाहो प्यार, चली आना मेरी जान
तेरी पायल की ख़ातिर, भी दे दे अपनी जान
माना तुम सुंदर हो ||