गुरुवंदन

ब्रह्म तुम्ही हो, तुम्ही हो शिव में
विष्णु के अवतार भी तुम हो
वेदों के हर अंक में तुम हो
राष्ट्र सृजन का अर्थ भी तुम हो

ना कभी है भूला, ना भूलेगा
ये देश तुम्हारा ऋणी रहेगा
ज्ञान दिया, बलिदान दिया है
देश के ख़ातिर त्याग किया है

विश्व गुरु कहां देश बन पाता
जो सप्त ऋषि का साथ ना होता
परशुराम जो प्रकट ना होते
कर्ण ना होता, द्रोण ना होते, शरशय्या पर भीष्म ना होते

जब सारे संत लड़े पड़े थे
अपनी बात पे अड़े खड़े थे
आदि शंकर ले शिव का नाम
बना गए चहूं दिशा में धाम

कपटी नंद का नाश ना होता
मौर्य के सर पर ताज ना होता
स्वर्ण युग आरंभ ना होता
जो, विष्णुगुप्त का दर्श ना होता

याद करो ज़रा वो कुर्बानी
कच्ची उम्र की वो बलिदानी
जब गुरु गोविंद के दोनों बच्चे
तर्पण कर गये अपनी जवानी

रुख नदियों का भी मोड़ दे हम
नभ से जल को जोड़ दे हम
आशीष रहे जो सदा गुरु का
नाम क्षितिज पर लिख दे अपना

नभ से ऊंचे सपने होंगे
सारे सपने सच भी होंगे
चरण कमल जहां गुरु के होंगे
राह के पत्थर कागज़ से होंगे


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