अबके होली छत पे मिलना

बहुत हुआ, आँखों से मिलना
नज़र झुका, जुल्फों को हटाना
सखियों संग बातों में मेरी
गालों में कलियों का खिलना
खाली काग़ज नाम से भरना
इश्क़ में डूबी ग़ज़ले सुनना
साये में मेरे खुद को रखना
पर घर आऊं तो, “कोई” कहना
दरवाज़े से मुझे लौटाना
जान के भी अनजाना बनना
छोड़ भी दो अब यूं शर्माना
अधरों के पट खोलो मैना
दिल की बातें, दिल में ना रखना
प्यार है तुमसे, खुल के कहना
अबके होली छत पे मिलना
चाँद ज़मी का मुझको है रंगना
तुम रेखा सी बलखाती आना
मैं बच्चन बन जाऊं दीवाना
भीगी चुनरिया ओढ़ के सजना
मेरे रंग में तुम रंग जाना
बहुत हुआ अब देर ना करना
कब है होली, होली कब है
पूछ पूछ गब्बर ना बनना
यूँ तो गोरी प्यार में तेरे
बन जाऊं टीले का सांभा
पर कैसे लिख दूँ इतिहासौं में
मैला कुचला, बीड़ी पीता, नाकारा था सजन तुम्हारा
ना पत्थर खाते मजनू जैसा
ना बच्चन ना रेखा जैसा
ना जेठा की बबीता जैसा
इतिहास लिखे जब प्यार हमारा
तुम कहलाओ हेमा प्यारी, मैं जट यमला धरम तुम्हारा
अबके होली छत पे मिलना
चाँद ज़मी का मुझको है रंगना


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