बेटियाँ, बेटियाँ, बेटियाँ ये बेटियाँ
पिता का जन्म दूसरा
परिवार का ये आसरा
कर्मों का वरदान ये
पुण्यों की ये प्राप्तियाँ ।।
रोते-रोते हंसने लगे
देख-देख खिलने लगे
उंगली पकड़ चलने लगे
पिता की परछाइयाँ ।।
बेटियाँ, बेटियाँ, बेटियाँ ये बेटियाँ
गुड़िया वाले खेलों में
नन्ही प्यारी परियों सी
झुठे-मुठे चूल्हों सिके
गोल गरम रोटियां ।।
रूखे-सूखे जीवन में
जीरे वाले तड़के सी
फीके-फीके आँगन में
रस भरी मिठाइयाँ ।।
बेटियाँ, बेटियाँ, बेटियाँ ये बेटियाँ
जेठ की दुपहरी में
पानी के छींटे सी
थके मन झूमती ये
ठंडी पवन थपकियाँ ।।
सावन के मौसम में
शाख लगे झूलों सी
कांटो भरे जीवन में
फूलों की क्यारियाँ ।।
बेटियाँ, बेटियाँ, बेटियाँ ये बेटियाँ
अमावस की रातों में
चांदनी सी बिखरी रहे
अंधेरों में रोशनी सी
उम्मीद की रश्मियां ।।
वक़्त की उड़ानों में
सजग सहज पंछी सी
तूफ़ाँ भरे सागर में
जोश की रवानीयाँ ।।
बेटियाँ, बेटियाँ, बेटियाँ ये बेटियाँ
प्यार भरे पलछिन में
ओस की बूंदों सी
दैत्यों भरे जंगल में
दुर्गा सी शक्तियाँ ।।
वेदों के मंदिर में
छाप अमिट स्याही सी
हाथ की रेखाओं में
लक्ष्मी की मूर्तियाँ ।।
बेटियाँ, बेटियाँ, बेटियाँ ये बेटियाँ
परिणय वाले बंधन में
ममता के धागे सी
दानी की आँखों में
खुशी की शहनाईयाँ ।।
बूढ़ी माँ की आँखों में
टिमटिमाते जुगनू सी
कांपते बूढ़े हाथों में
गर्म चाय प्यालीयाँ ।।
बेटियाँ, बेटियाँ, बेटियाँ ये बेटियाँ
प्रतीक पागे