भारत के परमवीर

आया हूँ  मैं याद दिलाने,वीरो के अनकहे फ़साने
खा कर गोली सीने पर अपने,रण में बिछड़े ना जाने कितने

47 से 99 तक, 21 परमवीर हमारे
जश्न अधूरा आज़ादी का, जो याद ना आये माँ के दुलारे

दबा हुआ है इतिहासों में, जिन्ना का वो ख़ूनी खंजर
भूल सका ना कोई अब तक, 47 का ख़ूनी मंज़र

बड़गाम का सरताज था,नाम सोमनाथ था
हाथ टूटा, कम थे सैनिक,पर दुश्मन का वो काल था,

पिरू सिंह बढ़ते जाते थे, पाकि बंकर गिरते जाते थे
रिछमार में गरजे करम सिंह थे, लिये हाथ तिरंगा रण में बसे थे

जदूनाथ खड़े थे सीना ताने,बम हटाए रामा राणे
एक इंच ना गीदड़ घुस पाये, जब शेर हमारे द्वार पे आये

याद दिला दूँ वो कुर्बानी, जब, गुरबचन ने खोई अपनी जवानी
UN ने जब गुरबचन पुकारा, जय भारत बोला कांगो सारा

62 में थे भाई से नाते, चीनी चिकनी चुपड़ी बातें
बेमानी सत्ता के नारे, चढ़ा गए बलि वीर हमारे

चीनी गलों को हाथों ने नापा, फिर कैद हो गये धन सिंह थापा
जोगिंदर ने 56 मारे, थर थर कांपे चीनी सारे

शैतान सिंह थे बड़े जोशीले, देख उन्हें हुए पतलून थे ढीले
जोश जवानों में पूरा था, हारा, लोलुप सत्ता का चेहरा था

65 आया फिर पाक गुर्राया, कश्मीर का ऊंचा राग लगाया
अयूब ने देखा दिल्ली का सपना, पर पड़ गया भारी लाहौर बचाना

असल उत्तर में हामिद उतरे,पाकि टैंक खिलौने से बिखरे
बंदूक लिये हामिद दौड़े थे,आगे बढ़ते टैंक मुड़े थे

वजीरवाली पर कब्ज़ा करके, तारापोर ने तारे दिखाये
ऐसे सरपट टैंक दौड़ाये,जब शहीद हुए तो दुश्मन भी था शीश झुकाये

71 की थी बात निराली, प्रधान पद थी खुद माँ काली
मानेकशॉ की फौजें डटी थी, इतिहास बनाने में वो जुटी थी

अल्बर्ट इक्का तुरुप का इक्का,शौर्य ऐसा, शत्रु भी था हक्का-बक्का
आकाश की बाज़ी निर्मल जीत ने मारी, 6 जहाज पे एक था भारी

हुकुम मिला पीछे आने का, जान बचाकर लौट आने का
खेत्रपाल तब जोर से गरजे
टैंक ना अपना छोड़ सकूँगा, साँस है जब तक मैं तो लडूंगा

होशियार थे हरफनमौला, हर सैनिक को दिया हौसला
हौसलों से जंग की कहानी, पाकि समर्पण, उस जज़्बे की निशानी

सियाचिन में आंख दिखाई, कायद नाम से पोस्ट बनाई
बाना ने की दुश्मन की कुटाई, कायद तोड़, बाना नाम से पोस्ट बनाई

बीच रास्ते आतंक ने घेरा, चली गोलियाँ, था घनघोर अंधेरा
रामास्वामी तनिक ना मचले, लंका में भी आंतकी कुचले

समझौतों में कहाँ टिका है, पाक से रिश्ता, बस धोखा है
शान्ति संदेश परवेज़ ना माना, करगिल में पड़ गया मुँह की खाना

पांडे जी ने कसम थी खाई, मौत हारेगी जो राह में आई
खुद से खुद का वादा था उनका, मौत आलिंगन जब लक्ष्य हो अपना

बन के घातक कर दी चढ़ाई, टाइगर हिल यादव जी की कमाई
सीने में दो दो गोली खाई, संजय सिंह ने दुश्मन की अर्थी उठाई

दुश्मन पे खतरा विक्रम बत्रा, दिल मांगे मोर था जिनका मंत्रा
लिपट तिरंगे, घर को आये, लिपटे पर फहरा भी आये

ऋण कैसे चुकाऊँ,
सरहद पे खामोश शहादत का, रोली मेहंदी के सूने मन का
ऋण कैसे चुकाऊँ,
बूढ़ी आँखों के अश्रु का, पापा को ढूँढते बचपन का

इतना ही बस वादा मेरा, जान से प्यारा देश हमारा
जब देश पुकारे, भूलूँ, इसका उसका तेरा मेरा ।।

जय हिंद


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